Editorial:हरियाणा में अपराध की रोकथाम के लिए हों हर संभव प्रयास

Edit1

crime in haryana

Every possible effort should be made to prevent crime in Haryana: हरियाणा में सरकार के समक्ष यह बड़ी चुनौती है कि राज्य में बढ़ रहे अपराध पर नियंत्रण पाया जाए। मुख्यमंत्री नायब सैनी ने इस संबंध में पुलिस के आलाधिकारियों के साथ बैठक की है, जोकि सही कदम है। हालांकि यह जरूरी है कि इस बैठक में लिए गए निर्णयों और अधिकारियों को दिए गए निर्देश की अनुपालना सुनिश्चित की जाए। मुख्यमंत्री ने साफ कहा है कि जिलों में पुलिस की मौजूदगी का अहसास अपराधियों को होना चाहिए, यानी वे अपराध करते बहुत बार सोचें। वैसे तो आज की स्थिति में अपराधी पूरे देश में भयमुक्त हो चुके हैं, क्योंकि उनके लिए कानून और पुलिस का डर कोई मतलब नहीं रख रहा है।

अपराधियों को अब सिर्फ अपना टारगेट नजर आता है और वे जब भी चाहें, जैसे भी चाहें किसी पर भी गोली या चाकू बाजी करके उसे मौत के घाट उतार सकते हैं। इन बातों का प्रमाण मीडिया में आने वाली उन तमाम सूचनाओं से मिल जाता है जिसमें मामूली बात या फिर रंजिश के चलते किसी का भी कत्ल करवा दिया जाता है। इन अपराधों के पीछे राजनीतिक कारण हैं, लेकिन उससे कहीं ज्यादा सामाजिक और रंजिशन मामले ज्यादा होते हैं। आखिर कौन यह सोच सकता है कि इंग्लैंड में बैठकर कोई कैथल में अपने पुलिस कर्मी रिश्तेदार की हत्या करवा सकता है। लेकिन यही हो रहा है, प्रदेश में बीते कुछ दिनों में ऐसी ही वारदात अंजाम दी जा चुकी है। निश्चित रूप से यह अपराध की पराकाष्ठा है।

वास्तव में हरियाणा तेजी से विकसित होता प्रदेश है, यहां जमीन की कीमतें आसमान छू रही हैं, यहां का सामाजिक चरित्र रौब-दाब और ऊंचे संपर्कों के दिखावे का है। ऐसे समाज में अपराधों की बढ़ोतरी पूरी तरह संभव है, लेकिन अगर अपराध इस प्रकार के हों जिसमें महिलाओं, किशोरियों या युवतियों के दुष्कर्म, छेड़छाड़, हत्या को अंजाम दिया जाए। या फिर चोरी, सडक़ पर हिंसा, घरेलू हिंसा, फिरौती, बदला लेने को रंजिशन हमला, रास्ता रोकना, कहीं भी किसी से झगड़ा कर लेना और अपराध को अंजाम देकर फरार हो जाना, लूटमार, ठगी आदि को इस तरह से समझना होगा कि अगर अपराधी के मन में पुलिस का खौफ है तो वह ऐसा नहीं करते, लेकिन अगर उन्हें लगे कि उनका कुछ बिगडऩे वाला नहीं है तो वे यह सब अपराध धड़ल्ले से अंजाम देते हैं। यह कहना काफी कठोर होगा कि हरियाणा में अब ऐसे ही अपराधों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। दिल्ली एनसीआर के इलाके मेें हरियाणा में इतने अपराध हो रहे हैं कि उनमें से जिक्र भी उनका हो जाता है, जोकि पुलिस थाने तक पहुंच जाते हैं। संभव है, तमाम ऐसे अपराधों का तो जिक्र तक नहीं हो पाता होगा। सबसे दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि ऐसे मामलों के संबंध में कहीं भी कोई जिक्र तक नहीं करता।

इस समय विपक्ष प्रदेश में लगातार इसे मुद्दा बना रहा है कि यहां अपराध बढ़ रहा है। नेताओं के इस पर लगातार बयान आ रहे हैं, बेशक यह एक गंभीर विषय है, और इस पर सरकार को सख्त से सख्त कदम उठाए जाने चाहिएं लेकिन यह भी सच है कि कुछ प्रकार के अपराध को रोकना किसी भी सरकार के लिए संभव नहीं है। हालांकि सुशासन इसी का नाम है कि राज्य में सबकुछ न्यायपूर्ण हो और इसकी जिम्मेदारी पुलिस की होती है। हरियाणा में बीते वर्षों की तुलना में अब पुलिस में पर्याप्त भर्तियां हो रही हैं। राज्य में महिला थाने खोले गए हैं, वहीं सामान्य थानों में भी जल्द सुनवाई हो रही है।

पुलिस हेल्पलाइन 112 के माध्यम से अब जनता कुछ मिनटों में ही पुलिस की सहायता हासिल कर लेती है। लेकिन इस सबके बावजूद अपराधियों का मनोबल टूट नहीं पा रहा है। वास्तव में यह जरूरी है कि सरकार के शीर्ष से प्रदेश में सीधे ऐसा संदेश जाए कि अब अपराधी बचेंगे नहीं। बीते दिन ही हांसी में बाइक सवारों ने एक पार्टी के नेता की हत्या कर दी है। इसके बाद से व्यापारी समाज में आक्रोश है। व्यापारियों को आजकल फिरौती की धमकियां मिल रही हैं, जाहिर है पुलिस के आला अधिकारियों की भी यह जिम्मेदारी है कि वे अपने जिले में सुरक्षित माहौल उत्पन्न करें। यह पूरी तरह संभव है कि राजनीतिक मंशा के बावजूद पुलिस विभाग ऐसे अपराधियों के प्रति सुस्ती दिखा रहा हो। ऐसे में यह जरूरी है कि सरकार वह हर जत्न करे जोकि प्रदेश में अपराध की रोकथाम के लिए आवश्यक है। प्रदेश की पहचान उसका सामाजिक चरित्र भी था, जिसे नुकसान पहुंचा है। हमें उसे सुधारने के लिए भी काम करना चाहिए। 

यह भी पढ़ें:

Editorial: सीएम के धरना खत्म करने के आग्रह पर किसान करें गौर

Editorial: रूसी सेना से भारतीय युवाओं की वापसी बड़ी सफलता

Editorial: हाथरस मामले में निर्दोषों की मौत का जिम्मेदार आएगा सामने?